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चौपाई : | मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथ राजू॥ |
अर्थ: | यह चौपाई बालकाण्ड मे संत समाजरुपी तीर्थ वर्णन मे आती है। अर्थ यह है कि कार्य सिद्ध होगा। |
सु
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प्र
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उ
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बि
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हो
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मु
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ग
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ब
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नु
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बि
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र
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सि
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रहिं
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बस
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हि
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मं
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ल
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न
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ल
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य
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न
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सुज
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सो
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ग
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सु
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कु
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म
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स
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ग
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त
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न
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ल
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धा
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बे
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र
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न
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कु
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जो
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म
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की
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हो
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सं
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रा
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पु
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सु
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थ
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सी
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जे
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इ
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सं
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क
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रे
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हो
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स
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त
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हिं
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तु
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म
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र
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र
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म
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मि
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म्हा
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जा
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हीं
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ा
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ा
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ता
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रा
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रे
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री
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हृ
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का
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फ
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खा
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जू
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र
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रा
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पू
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द
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ल
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नि
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को
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जो
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गो
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न
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मु
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ज
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य
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मनि
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क
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ज
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प
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स
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ल
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हि
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रा
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मि
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स
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द
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न्मु
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ख
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म
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खि
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जि
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म
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त
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जं
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सिं
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ख
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नु
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न
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को
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भ
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ना
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पु
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